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Roshni Guha

प्रेरणा : जीवन का दीपस्तंभ (Inspiration: The lighthouse of life )


प्रेरणा - जिसके बिना जीवन का अस्तित्व नहीं,

मानवीय भावनाओं की संसार का परिचय नहीं।

 

किसी भटके हुए मुसाफिर को रास्ता दिखाती,

इस स्वार्थ की भूमि पर, एकमात्र सच्चाई का प्रमाण होती।

 

आसमान को छूने के इरादे,

कभी इंसान को नही गिराते।

 

मनुष्य एक वृक्ष और प्रेणना उसके बीज,

एक-दूसरे से स्वतंत्र, अस्तित्व नहीं।

 

दिमाग का संकल्प, हृदय का विश्वास,

सुनेगी धरती तुम्हारी आवाज़।

 

नदियाँ इतनी महान और विशाल

लेकिन अपनी प्रेरणा - सागर की ओर प्रवाह

 

नदी सागर बनना चाहती,

बच्चा बालिग बनना चाहता,

घास पौधे बनना चाहते,

संसार का हर अंश आगे बढ़ना चाहता |

 

प्रेरणा अर्थात

आलस्य और भय का हार,

मानवीय संसार का सार

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